एम्स के डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल, काम पर लौटने वाले डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी

ओला टाइम्स/नई दिल्ली।

Supreme Court ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ ड्यूटी के दौरान कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या के विरोध में आंदोलनरत देशभर के डॉक्टरों को अपने काम पर तत्काल लौटने की गुरुवार को अपील की और काम पर लौटने वाले आंदोलनकारी डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के सरकारों को निर्देश दिया। साथ ही Supreme Court ने डॉक्टर्स की सुरक्षा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए।  इसके बाद एम्स के डॉक्टरों ने 11 दिन से चल रही हड़ताल खत्म कर दी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने घटना के ‘स्वत: संज्ञान’ मामले में सुनवाई के दौरान सभी संबंधित पक्षों की दलीलें विस्तारपूर्वक सुनीं। शीर्ष अदालत इस मामले में अगली सुनवाई पांच सितंबर को करेगी।

Supreme Court : डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें केंद्र और सरकारें
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नौ अगस्त को हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद देशभर के अस्पतालों में मरीजों की समस्याओं पर गौर करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पीठ की ओर डॉक्टर से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि न्याय और चिकित्सा हड़ताल पर नहीं जा सकते। क्या हम अब उच्चतम न्यायालय के बाहर जाकर बैठ सकते हैं?

पोस्टमार्टम को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को लगाई कड़ी फटकार

उच्चतम न्यायालय ने प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या मामले में मुकदमा दर्ज किए जाने से पहले शव का पोस्टमार्टम करने पर गुरुवार को आश्चर्यजनक व्यक्त किया और पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई। पीठ ने सीबीआई और बंगाल सरकार की ओर से पेश मामले से संबंधित जांच प्रगति विवरण देखने के बाद कहा कि उसने कभी ऐसे मामले में इस तरह का रवैया नहीं देखा। न्यायालय ने मामला दर्ज करने पर पश्चिम बंगाल सरकार के प्रति नाराजगी और आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह क्या हो रहा था? अप्राकृतिक मौत के मामले और एफआईआर दर्ज होने से पहले पोस्टमार्टम किया गया। मैंने 30 वर्षों में कभी भी इस तरह से ऐसे मामले को निपटाते नहीं देखा।

Supreme Court : डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें केंद्र और सरकारें

पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि एक पहलू बेहद परेशान करने वाला है। मृत्यु की जीडी (सामान्य डायरी) प्रविष्टि अगले दिन सुबह 10:10 बजे दर्ज की गई। अपराध स्थल की सुरक्षा, जब्ती आदि का काम रात 11:30 बजे किया गया? इसके अलावा युवा डॉक्टर के शव का पोस्टमार्टम (अप्राकृतिक मृत्यु के लिए) एफआईआर दर्ज करने से कुछ घंटे पहले रात 11.45 बजे किया गया था।

कोर्ट ने दिया आश्वासन

पीठ ने अपने आदेश में कहा डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि उनमें से कुछ पर पिछले दिनों हुए विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण कार्रवाई की जा रही है। हमें आश्वासन दिया गया है कि डॉक्टर काम पर वापस लौट आएंगे और आज के आदेश के बाद काम पर वापस आने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

राज्य सरकार दो सप्ताह के भीतर सुधारात्मक उपाय करे

शीर्ष अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ बैठक करके काम पर लौटने के इच्छुक डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि यह बैठक एक सप्ताह के भीतर आयोजित की जाए और राज्य सरकार दो सप्ताह के भीतर सुधारात्मक उपाय करें। पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि राज्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों में हिंसा की किसी भी आशंका को रोक सकें। शीर्ष अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक पोर्टल खोलने का निर्देश दिया, जहां सभी हितधारक अपने सुझाव प्रस्तुत कर सकें। मामले का राजनीतिकरण नहीं करें
पीठ ने डॉक्टरों के कल्याण और सुरक्षा के मुद्दे को बार-बार रेखांकित करते हुए कोलकाता की इस मेडिकल कॉलेज की घटना के मामले का राजनीतिकरण न करने का सभी से आग्रह किया और कहा कि कानून अपना काम कर रहा है।

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