Puri Rathyatra : आज पूरी रात रथों पर ही विश्राम करेंगे भगवान,  मंदिर में कल होगा प्रवेश

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पुरी (ओडिशा)। उड़ीसा में रविवार को शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की Puri Rathyatra में भगवान बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ के रथ दूसरे दिन गुंडिचा मंदिर पहुंच गए। यहां रथों पर ही भगवान की पूजा आरती होगी। राजभोग लगेगा। अब 9 जुलाई को भगवान का मंदिर में प्रवेश होगा।

puri Rathyatra के तहत 7 दिनों तक भगवान बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ के रथ यहीं रुके रहेंगे। 11 जुलाई को हेरापंचमी मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी जी भगवान से मिलने आती हैं। 15 जुलाई, सोमवार को तीनों भगवान अपने रथों में बैठकर मंदिर को लौटेंगे। भगवान के मंदिर लौटने वाली यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।

कल (7 जुलाई) यात्रा का पहला दिन था। शाम 5 बजे के बाद शुरू हुई रथयात्रा सूर्यास्त के ही साथ रोक दी गई थी, भगवान जगन्नाथ का रथ सिर्फ 5 मीटर ही आगे बढ़ा था।

इस साल Puri Rathyatra दो दिन

जगन्नाथ मंदिर के पंचांगकर्ता डॉ. ज्योति प्रसाद के मुताबिक, हर साल जगन्नाथ Rathyatra एक दिन की होती है, लेकिन इस बार दो दिन की है। इससे पहले 1971 में यह यात्रा दो दिन की थी। तिथियां घटने की वजह से ऐसा हुआ।

दरअसल, हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को स्नान करवाया जाता है। इसके बाद वे बीमार हो जाते हैं और आषाढ़ कृष्ण पक्ष के 15 दिनों तक बीमार रहते हैं, इस दौरान वे दर्शन नहीं देते।

16वें दिन भगवान का श्रृंगार किया जाता है और नवयौवन के दर्शन होते हैं। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से रथयात्रा शुरू होती है।

इस साल तिथियां घटने से आषाढ़ कृष्ण पक्ष में 15 नहीं, 13 ही दिन थे। इस वजह से भगवान के ठीक होने का 16वां दिन द्वितीया पर था। इसी तिथि पर रथयात्रा भी निकाली जाती है।

7 जुलाई को भगवान के ठीक होने के बाद की पूजन विधियां दिनभर चलीं। इसी दिन रथयात्रा निकलना जरूरी था। इस वजह से 7 जुलाई की शाम को ही रथयात्रा शुरू की गई। यात्रा सूर्यास्त तक ही निकाली जाती है। इसलिए रविवार को रथ सिर्फ 5 मीटर ही खींचा गया।

पुरी रथयात्रा में भगदड़ से दो श्रद्धालुओं की मौत, कई घायल

puri rathyatra के दोरान अलग-अलग दो हादसों में दो लोगों की मौत होने के समाचार है। भगदड़ होने के कारण करीब 100 से ज्यादा  घायल हुए हैं। ओडिशा सीएम मोहन चरण माझी ने हादसे को लेकर दुख: व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।

आषाढ़ शुक्ल दशमी तक यहां रहेंगे भगवान

आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक भगवान गुंडिचा मंदिर में मौसी के यहां ही रहते हैं। 15 जुलाई को तीनों रथ पुरी के मुख्य मंदिर लौटंेगे। लौटने की यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।

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